ऑनर किलिंग के एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खाप पंचायतें अवैध हैं. प्रेमी जोड़े को प्रशासन सुरक्षा दें. कोर्ट के इस टिप्पणी के बाद उम्मीद है चहकते प्रेमी युगल पर पुलिस डंडा नहीं बरसाएगी और खाप पंचायतों पर भी कोर्ट का असर दिखेगा. खाप पंचायतों की ओर से जारी होने वाले कातिलाना फरमानों पर अंकुश लग जाएगी.
जब प्रतिष्ठा विकृत ढंग से जान से प्यारी हो जाए तो जान खतरनाक ढंग से सस्ती हो सकती है. यह एक सच्चाई है और यह सच्चाई कई प्रेमी युवा शरीर पर बड़ी क्रूरता के साथ उकेड़ी गई. अगर आंकड़ों की बात कहें तो पिछले कुछ वर्षों में भारत के विशाल ग्रामीण क्षेत्र में हर वर्ष एक हजार से ज्यादा युवा अपने ही लोगों के हाथों मार डाले जाते हैं. इनमें से 900 तो अकेले अन्न उगाने वाले पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मारे जाते हैं.
इज्जत के लिए कत्ल ('ऑनर किलिंग') के इस चलन के लिए प्रत्यक्ष तौर पर 'जाति या धर्म की पवित्रता की रहना' का बहाना बनाया जाता है. ये सारी हत्याएं शादियों से जुड़ी होती हैं, और इनका स्त्रोत होता है, हर समुदाय के अपने-अपने अजीबोगरीब नियमों का ढांचा जो जातियों की परतों में बंटे समाज में विजातीय विवाह के ढांचे पर सवार होता है.
जिस देश में प्रेम विवाह को एक विशेष प्रकरण माना जाता है, अपने जीवनसाथी का चुनाव करने की सजा आम तौर पर उन लोगों का परिवार ही तय कर देता है, जो ऐसा करने की हिमाकत करते हैं. कुख्यात खाप पंचायत जैसे परंपरागत जातिगत संगठनों से समर्थन प्राप्त, जिसमें हरियाणा में एक पूर्व मुख्यमंत्री तक शामिल हैं, यह अपराध करने वाले अपने आपको सामाजिक व्यवस्था का रक्षक समझते हैं.
हालांकि अभी दो दिन पहले ही हरियाणा की खाप पंचायत ने कन्या भ्रूण हत्या रोकने की दिशा में साकारात्मक पहल की घोषणा की है. पहली बार एक महिला इस पंचायत में बोली. इसे आप सुखद बदलाव के रुप में देख सकते हैं लेकिन बदलते बदलते पता नहीं कितनी अजन्मी बच्ची और कितने प्रेमी युगल अपनी जान खो देंगे.