शुक्रवार, नवंबर 02, 2007

बंद से नहीं ठोस निर्णय से बदलेगा बिहार

दो शब्‍द
गुंडा, मवाली और बलात्‍कारी आपके जनप्रतिनिधि हैं तो आप एक बार सोचिए। हो सकता है आपका यह जनप्रतिनिधि आपका ही शिकार कर बैठे। अपराध के विरोध में बंद करने भर से समस्‍या का समाधान नहीं हो सकता। जरूरत है एक बदलाव की और यह बदलाव जनता ही ला सकती है। अपना जनप्रतिनिधि चुनने से पहले यह जरूर देखा जाना चाहिए कि उम्‍मीदवार का बैकग्राउंड कैसा है।

अब खबर

विपक्षी दलों ने पत्रकारों पर हुए जानलेवा हमले के खिलाफ शुक्रवार को बिहार बन्द का आह्वान किया है। बंद से रेलवे, विमान सेवा, एम्बुलेंस, अस्पताल, दवा दुकान सहित आपात सेवाओं को अलग रखा गया है। बन्द को राजद, कांग्रेस, लोजपा, माकपा, भाकपा, एनसीपी, बसपा व समता पार्टी का समर्थन है।
नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी के नेतृत्व में गुरुवार को विपक्षी दलों के नेताओं ने राज्यपाल आरएस गवई से मिलकर घायल पत्रकारों की सुरक्षा, उनका सरकारी खर्चे पर इलाज व रेशमा खातून की हत्या से सम्बन्धित साक्ष्य मिटाने से सरकार को रोकने का आदेश देने का अनुरोध किया। नेता प्रतिपक्ष राबड़ी देवी ने अभिभावकों से अनुरोध किया है कि वे बन्द के दिन अपने बच्चों को स्कूल, कालेज नहीं भेजें। उन्होंने कहा कि एनडीटीवी के पत्रकार प्रकाश सिंह, फोटोग्राफर हबीब व एएनआई के अजय कुमार की जदयू विधायक अनन्त सिंह ने अपने सरकारी आवास पर जान से मारने की नीयत से बेरहमी से पिटाई की। उन्होंने कहा कि रेशमा खातून नामक महिला की हत्या के सम्बन्ध में पत्रकार उनका पक्ष लेने पहुंचे थे। इससे पूर्व बिहार बन्द को लेकर नेता प्रतिपक्ष के कक्ष में विरोधी दलों के नेताओं की बैठक हुई। इसमें लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पर हमले को खतरनाक संकेत माना गया।
राज्यपाल से मिलने के बाद नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि शिष्टमंडल ने राज्यपाल से रेशमा खातून मामले में विधायक अनन्त सिंह के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर स्पीडी ट्रायल चलाने, पुलिस अधिकारियों को बुलाकर साक्ष्य समाप्त होने से बचाने व इसकी जांच कराने का अनुरोध किया गया। उन्होंने कहा कि रेशमा के पत्र पर डीपीजी के स्तर से कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गयी। रेशमा ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में विधायक अनन्त सिंह पर बलात्कार का आरोप लगाया था। उसने अपनी हत्या की भी आशंका जतायी थी। इस पत्र की प्रति नेता प्रतिपक्ष को भी भेजी गयी थी। पत्र की प्रति नेता प्रतिपक्ष ने 27 अक्टूबर को डीजीपी को भेजी भी, लेकिन इसके बावजूद कोई कर्रवाई नहीं हुई।
प्रदेश राजद अध्यक्ष अब्दुलबारी सिद्दीकी व मुख्य प्रवक्ता शकील अहमद खां ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनता दरबार का नाटक करते हैं जबकि रेशमा के पत्र पर कार्रवाई करने की उनको फुर्सत तक नहीं थी। उन्होंने कहा कि मामले की सीबीआई जांच तभी सार्थक हो सकती है जब साक्ष्य बरकरार रहें। राज्यपाल से मिलने वाले शिष्टमंडल में कांग्रेस विधायक दल के नेता डा. अशोक कुमार, लोजपा के दुलारचन्द यादव, माकपा के सुबोध राय, भाकपा के यूएन मिश्र, बसपा के रामचन्द्र यादव, समता के पीके सिन्हा, प्रदेश राजद अध्यक्ष अब्दुलबारी सिद्दीकी, शकील अहमद खां, रामचन्द्र पूर्वे व रामबचन राय शामिल थे।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

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