बुधवार, अक्टूबर 17, 2007

कामरेडों के गढ़ से गरीबों के राशन की तस्करी

दो शब्‍द

गरीबों का राशन ब्‍लैक करना कोई नई बात नहीं है। सरकार की चले तो वह जन वितरण प्रणाली को ही बंद कर दे। अभी गरीबी रेखा के नीचे उसे माना जाता है जिसकी वार्षिक आमदनी 3600 रुपया है। इतने रूपये तो बड़े-बड़े शहर के चौराहे पर भीख मांगने वाला भिखारी भी प्रतिमाह कमा लेता है, तो क्‍या उसे गरीबी रेखा से उपर माना जाना ? सरकार की ऐसी ही नीति रही तो वह दिन दूर नहीं कि जब भूख से मरते लोगों की जिम्‍मेवारी सरकार की नहीं होगी इसके लिए वह स्‍वयं ही जिम्‍मेवार होगा।

अब खबर

राशन प्रणाली में खामियां निकालकर केंद्र की आए दिन फजीहत करने वाले कामरेडों के राज्य पश्चिम बंगाल में गरीबों के मुंह कानिवाला छीना जा रहा है। राशन के अनाज का एक बड़ा हिस्सा गरीबों की जगह तस्करी के मार्फत बांग्लादेश पहुंचाया जा रहा है। केंद्रीय कृषि व खाद्य मंत्री शरद पवार ने राज्य सरकार को इस तरह के गंभीर अपराध के खिलाफ सख्ती बरतने के निर्देश दिए हैं।
राशन प्रणाली के तहत वितरित होने वाले विभिन्न अनाज गरीबों तक पहुंचने से पहले ही खुले बाजार में बेच दिए जाते हैं। राशन की ऐसी चोरी का मामला लगभग सभी राज्यों में पाया गया है। लेकिन पश्चिम बंगाल में हालात बद से बदतर हैं। राज्य की राशन प्रणाली पर माफिया का कब्जा है। वे राशन को सस्ती दर की दुकानों पर पहुंचने से पहले ही हड़प कर जाते हैं। बाद में उसे तस्करी के मार्फत बांग्लादेश पहुंचा दिया जाता है।
पिछले दिनों राशन की समस्या को लेकर राज्य में जगह-जगह हंगामा हुआ। राज्य सरकार ने आनन-फानन केंद्र पर आरोप मढ़ दिया कि केंद्र से राशन की आपूर्ति नहीं होने से ऐसा हुआ। केंद्र ने भी बिना देर किए पश्चिम बंगाल का कच्चा चिट्ठा पेश कर राज्य सरकार की कलई खोल दी।
विश्व खाद्य दिवस पर आयोजित समारोह में हिस्सा लेने के बाद पवार ने एक सवाल के जवाब में कहा कि राशन के अनाजों की चोरी की शिकायतें पहले से ही मिल रही थीं। उन्होंने माना कि राशन दुकानों से गरीबी रेखा के ऊपर वाले उपभोक्ताओं के हिस्से के अनाज में सबसे अधिक चोरी होती हैं। राज्य सरकारों को इस बारे में बराबर आगाह किया जाता रहा है। पवार ने कहा कि पिछले सप्ताह ही पश्चिम बंगाल का एक प्रतिनिधिमंडल मिला था, उससे भी राशन के अनाज की तस्करी पर काबू पाने का आग्रह किया गया है।

साभार- दैनिक जागरण

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