खबर से पहले दो शब्द
क्यों भटक रहा है बिहार
महात्मा बुद्ध और महावीर की धरती बिहार। जी हां बिहार का अतीत काफी समृद्ध रहा है। आपातकाल से मुक्ति के लिए छात्र आंदोलन की शुरूआत यही हुई। लोकतंत्र में नई बुलंदियों को स्थापित करने का श्रेय बिहार को ही जाता है। लेकिन आज वह अपने पथ से भटक गया है। लोकतंत्र भीड़तंत्र में बदल गई है। अपराधियों का जमघट लगते जा रहा है। सदन से लेकर बाहर तक अपराधियों ने कब्जा जमा लिया है। थाने में अश्लील नृत्य का आयोजन कराया जा रहा है। मंत्री जी ऐसे नृत्यों का उद्घाटन करने आते हैं। गरीबी अभिशाप तो है लेकिन यह बिहार के लिए कही ज्यादा है। राज्य में 30 प्रतिशत से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे जी रहे हैं। प्रति व्यक्ति औसत आमदनी 4500 रू। है और तकरीबन 47 प्रतिशत लोग ही शिक्षित है। जो कभी देश में सबसे ज्यादा उन्नत राज्य हुआ करता था उसकी स्थिति ऐसी है। इसके लिए कौन जिम्मेवार है ?
खबर अब तक-
वैशाली के राजापाकड़ में ग्रामीणों द्वारा कथित ग्यारह चोरों की हत्या की घटना को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री ने इसकी उच्चस्तरीय जांच का निर्देश दिया है। पटना केन्द्रीय प्रक्षेत्र के आईजी राजवर्धन शर्मा को जांच का जिम्मा दिया गया है। वहीं सरकार ने घटना को अंजाम देने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने का निर्णय किया है। घटना की सूचना मिलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, एडीजी मुख्यालय को मुख्यमंत्री आवास बुलाकर घटना और उसके बाद पुलिस द्वारा की जा रही कार्रवाई के बारे में पूरी जानकारी ली। नीतीश कुमार ने राज्य में अपराध और कानून-व्यवस्था की समीक्षा के लिए मुख्यमंत्री ने 15 सितम्बर को उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है।
भागलपुर, नवादा, बेगूसराय, आदि में इस तरह की घटी घटनाओं को संदर्भित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कारणों का पता लगना चाहिए। कहीं पुलिस अपनी कार्रवाई में पीछे तो नहीं रह जा रही जिसके कारण जनता को भूमिका अदा करना पड़ रहा है। नीतीश कुमार ने कहा कि यह अच्छा सिगनल है कि जनता अपराधियों का विरोध करने लगी है। ग्रामीणों द्वारा चोरों को पकड़ना बहादुरी है मगर मार देना कायरता। मानवाधिकार को ध्यान में रखते हुए पुलिस के हवाले किया जाना चाहिए। कानून को हाथ में लेने की किसी को इजाजत नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्तिन हो इसके लिए जन जागरण अभियान चले। गृह सचिव के अनुसार 15 सितम्बर को होने वाली समीक्षा बैठक में मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी के साथ-साथ जिलों के एसपी, प्रक्षेत्रीय डीआईजी, आईजी व पुलिस मुख्यालय के वरीय अधिकारी हिस्सा लेंगे। उन्होंने कहा कि राजापाकड़ मामले में अब तक जो तथ्य सामने आए हैं उसमें हाल के महीनों में वहां चोरी के अनेक मामले दर्ज नहीं हैं।
मुख्यालय की रिपोर्ट के अनुसार जून से अब तक दो चोरी के मामले दर्ज हुए हैं। पटना केन्द्रीय प्रक्षेत्र के आईजी को एरिया सर्वे की जिम्मेदारी दी गई है। राजापाकड़ में मिथिलेश यादव के घर से लोग चोरी करके लौट रहे थे। ढेलपुरवा चौक के पास टैम्पू तय कर रहे थे। किसी बात पर उससे बकझक हुई और उसने हल्ला मचा दिया। तब लोग एकत्र हो गए और उसके बाद की घटना सामने है। इधर पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता आईजी अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि राजापाकड़ मामले में एक व्यक्ति बच गया है उसके बयान के आधार पर हमला करने वाले लोगों के विरुद्ध मुकदमा चलेगा। और स्पीडी ट्रायल कर उन्हें सजा दिलवाई जाएगी। उन्होने कहा कि पहले भी इस इलाके में इस तरह की घटनाएं हुई हैं। 1993 में थाना हाजत से एक मुल्जिम को छुड़ाकर उसे पीटकर मार डाला गया और दरोगा के भी हाथ-पांव तोड़ डाले गए थे। 1995 में करीब में ही पांच लोगों की हत्या पीटकर कर दी गई थी। इसके अतिरिक्त भी घटनाएं घटी हैं।
आखिर यह नौबत क्यों आई
बिहार में प्रशासन की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हआ है। लोग शिकायत लेकर थाने जाते हैं तो कोई सुनने वाला नहीं है। चोरी की वारदात से तंग आकर गांव वालों ने भी शिकायत की थी लेकिन प्रशासन ने एक न सुनी। अगर समय पर उनकी बात सुन ली जाती तो शायद यह नौबत नहीं आती।
हालांकि गांववालों ने जो भी किया उसे किसी प्रकार से उचित नहीं कहा जा सकता।
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