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शिक्षिका उमा खुराना स्टिंग ऑपरेशन मामले में अपराध शाखा ने शनिवार को चैनल के सीईओ सुधीर चौधरी से लंबी पूछताछ की। पूछताछ में सीईओ ने चैनल का पक्ष रखते हुए कहा कि पूरे स्टिंग को रिपोर्टर ने अंजाम दिया था। उसकी मंशा या षड्यंत्र के बारे में चैनल को कोई जानकारी नहीं थी। इस पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारी विधि विशेषज्ञों की राय ले रहे हैं, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके। इधर, इस मामले में गिरफ्तार रिपोर्टर प्रकाश सिंह को अदालत में पेश किया गया जहां से उसे सात दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। हालांकि प्रकाश को सोमवार को भी अदालत में पेश किया जाएगा। दरअसल सोमवार को उमा खुराना की जमानत पर सुनवाई होनी है। इस दौरान आवाज के सैंपल के लिए पुलिस उमा के साथ प्रकाश को भी रिमांड पर लेना चाहती है। इसकी अर्जी पुलिस ने अदालत में लगाई थी जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
अपराध शाखा के उपायुक्त मधुप तिवारी के अनुसार इस प्रकरण में चैनल का पक्ष जानने के लिए सीआरपीसी की धारा-160 के तहत चैनल प्रबंधन को नोटिस देकर वहां से किसी प्रतिनिधि को शुक्रवार को बुलाया गया था, लेकिन शुक्रवार को चैनल प्रबंधन की ओर से कोई नहीं आया। लेकिन मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए शनिवार को चैनल के सीईओ सुधीर चौधरी अपराध शाखा के आरकेपुरम कार्यालय पहुंचे। वहां शाखा के उच्च अधिकारियों ने उनसे लंबी पूछताछ की। पुलिस ने उनका पूरा बयान दर्ज किया है। श्री चौधरी ने बताया कि उन्होंने स्टिंग को एक खबर की तरह दिखाया था। रिपोर्टर ने स्टिंग के बारे में जो जानकारियां दी थीं, उसी के अनुसार खबर चैनल पर प्रसारित की गई थी। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन्हें या चैनल प्रबंधन को रिपोर्टर की मंशा या षड्यंत्र की जानकारी थी।
उनका कहना था कि रिपोर्टर प्रकाश सिंह, उसकी महिला पत्रकार मित्र और वीरेंद्र अरोड़ा के बारे में बाद में जानकारी मिली। पुलिस सूत्रों की मानें तो अब यह स्पष्ट हो गया है कि इस पूरे षड्यंत्र के पीछे प्रकाश सिंह और वीरेंद्र अरोड़ा का ही हाथ है।
ज्ञात हो कि गत 30 अगस्त को एक न्यूज चैनल में उमा खुराना नामक शिक्षिका को रुपये लेकर स्कूली छात्रा के जिस्म का सौदा करते दिखाया गया था। उमा खुराना आसफ अली रोड स्थित सरकारी स्कूल में शिक्षिका थी। टीवी पर इस खबर को देखते ही तुर्कमान गेट इलाके के लोगों ने स्कूल में घुसकर उग्र प्रदर्शन किया। उन्होंने पुलिस जिप्सी फूंकने के साथ दर्जनों गाड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया। गिरफ्तारी के दौरान भी लोगों ने उमा से मारपीट की और उसके कपड़े फाड़ दिए थे।
लेकिन बाद में इस स्टिंग की सच्चाई के बारे में अलग ही कहानी सामने आई। पुलिस के अनुसार उमा खुराना का स्टिंग ऑपरेशन करने वाले रिपोर्टर प्रकाश सिंह ने अपनी मित्र तथा पेशे से पत्रकार युवती के साथ मिलकर इस पूरे मामले को धोखे से गलत तथ्यों के साथ शूट किया। इस काम में वीरेंद्र अरोड़ा ने इनकी मदद की। क्योंकि उमा ने वीरेंद्र से किसी बिजनेस के सिलसिले में कर्ज ले रखा था जिसे अभी वह लौटाने की स्थिति में नहीं थी। मामले के काफी पेचीदा हो जाने के बाद इसकी जांच की जिम्मेदारी मध्य जिला पुलिस से लेकर अपराध शाखा को सौंपी गई। पुलिस ने उमा की गिरफ्तारी के बाद उसके साथी वीरेंद्र अरोड़ा को गिरफ्तार किया। फिर पुलिस ने स्टिंग में स्कूली छात्रा बनी नोएडा की युवती को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद शुक्रवार को पुलिस ने रिपोर्टर प्रकाश सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया।
अब खबर से जुडे कुछ सवाल
इन सारे तथ्यों से एक बात स्पष्ट हो जाता है कि चैनल किसी भी प्रकार से रिपोर्टर की जिम्मेवारी नहीं लेना चाहता है। यह कैसा न्याय है ? क्या चैनल के संचालक यह कहना चाहते हैं कि उनके यहां काम करने वाले रिपोर्टर अपनी जिम्मेवारी पर कोई रिपोर्ट पेश करते हैं ? चैनल का उस रिपोर्ट से कुछ लेना देना नहीं होता ? लेकिन जब रिपोर्ट पेश की जार रही थी उस समय चैनल हेड अपनी पीठ थपथपाने से नहीं चुक रहे थे। फिर अभी अपने आप को अलग क्यों कर रहे हैं ? सरकार इन सारे प्रकरणों पर गौर करें और यह निधार्रित करें कि इस मामले में दोहरी नीति नहीं अपनाया जाए। अगर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में किसी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन होता है तो यह ठीक नहीं है।
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